हंसराज अहीर साहेब का जीवन संघर्श और प्रेरणा से ओतप्रोत भरा है। उनका जन्म 11 नवंबर 1954 को महराष्ट्र के नांदेड मे हुआ। लेकीन उनका कार्यक्षेत्र चंद्रपूर-गडचिरोली-यवतमाल जिला रहा है। 1975 मे आपातकाल के उपरांत देश के कई हिस्सो में कांग्रेस विरोधी नेतृत्व पनप रहे थे। चंद्रपूर में भी हंसराज अहीर द्वारा कांग्रेस विरोधी संघर्श का नेतृत्व किया गया। जनता पार्टी के पतन के बाद स्थापित भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्य रहे।
शुरुवात में चंद्रपूर शहर जनता पार्टी के युवा मोर्चा के अध्यक्ष से राजनितिक जीवन 1980 में शुरु किया।इसके बाद युवा मोर्चा के जिला अध्यक्ष, भाजपा के जिला अध्यक्ष बने। उन्होने ही चंद्रपूर में सर्वप्रथम जनता के सुनवाई एवं निपटारा के लिए जनसंपर्क कार्यालय की शुरुवात की। उनके पिता सुप्रसिद्ध डाक्टर होने के कारण उनका स्वास्थ क्षेत्र मे स्वाभाविक रुची थी। इसके कारण उन्होने रुग्णसेवा, रक्तदान तथा सिकलसेल के क्षेत्र में बहुआयामी कार्य किया है। बाद में पिता के निधन पश्चात उनके द्वारा डॉ. गंगाराम अहीर चॅरीटेबल ट्रस्ट की स्थापना कर विभिन्न रोगो के उपचार, मार्गदर्शन शिबिरो का लोकसभा क्षेत्र में आयोजन किया गया।
चंद्रपूर षहर नगर निगम पार्शद से शुरु किया गया जनप्रतिनिधी की यात्रा, 1994 में महाराश्ट्र राज्य विधान परिशद सदस्य, 1996 मे लोकसभा सदस्य और 2004 से लगातार 2014 तक तीन बार लगातार संसद सदस्य बने रहे। हंसराज अहीर द्वारा युपीए काल में कोयला घोटाला उजागर किया गया। इससे भाजपा करे सत्ता में आने के लिए यह मामला काफी सहायक था। हंसराज अहीर संघटन एक राजनितिक कार्य के साथ स्थानिय, राज्य, देश की समस्याओं से भलीभांती परिचित थे। इसका उपयोग उन्होने संसद सदस्य के रुप में विभिन्न संसदीय आयुधो का प्रयोग कर समस्या उजागर करने तथा इसका निपटान करने में किया। अपनी मेंघावी बुध्दी तथा संसदीय कौषल के कारण उन्हे चेन्नई स्थित प्राईम टाईम फाऊॅंडेषन द्वारा 2011,2012,2013 और 2014 में संसद रत्न सन्मान से सम्मानित किया गया। संसद में संयत आचरण और संसदीय कार्य के कारण पिठासिन सभापती द्वारा उनका गौरव भी किया गया है।
हंसराज अहीर संसदीय प्रणाली के जानकार होने के कारण उन्हे संसदीय समितीयों मे मिले प्रतिनिधित्व से उन्होने जन-समस्या के निपटान के लिए उपयोग किया। वे 2004 से 2014 तक लगातार कोयला एवं इस्पात स्थाई समिती के सदस्य बने रहे। इसके साथ खाद्य प्रबंधन समिती, वक्फ संयुक्त संसदीय समिती, विषेशाधिकार समिती, रेल्वे कन्वेषन समिती, अन्य पिछडा वर्ग(ओबीसी) समित, सार्वजनिक उपक्रम समिती के सदस्य मनोनित किये गए।
2014 में सतत निर्वाचित होने के बाद भाजपा के मा. नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद कोयला एवं इस्पात स्थाई समिती के अध्यक्ष बने। इसके बाद उनके संसदीय अनुभव का उपयोग सरकार में करने के लिए उन्हे केंद्रिय मंत्री परिशद में रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय में राज्यमंत्री के रुप में मनोनित किया गया। उनके मंत्री के रुप में किये गये कार्य से प्रभावित होकर उन्हे प्रतिश्ठीत गृह मंत्रालय में 5 जुलाई 2016 को राज्यमंत्री के रुप में कार्यभार दिया गया। गृह मंत्रालय में अपने दायित्व का उन्होने बखुभी निर्वहन किया। राजनिती की पूरी समझ और कुषाग्रता के कारण अहीर जी ने भारतीय राजनिती में अपनी स्वयं की जगह बनाई। संघटन, राजनिती, सामाजिक कार्य के साथ एक उत्तम प्रषासक के रुप में अहीर जाने जाते है।
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